श्री
हे गोविन्द,हे गोपाल,शरण मैं तिहारी
हे गोविन्द,हे गोपाल
1 अजामील, गिद्ध,व्याध,इनमें कहो कौन साध
पंछी सूं पद पठात, गणिका सी तारी
हे गोविन्द...
2 ध्रुव के सिर छत्र देत, प्रह्लाद को उबार लेत
भक्त हेतु बांध्यो सेतु,लँका पूरी जारी
हे गोविन्द...
3 गज को जब ग्राह गस्यो, दुशासन चीर खस्यो
सभा बीच कृष्ण कृष्ण,द्रोपदी पुकारी
हे गोविन्द.....
4 इतने में हरि आय गये, वसानन आरूढ़ भये
सूर श्याम द्वारे ठाढ़ो,आंधरो भिखारी
हे गोविन्द.....
हे गोविन्द,हे गोपाल
1 अजामील, गिद्ध,व्याध,इनमें कहो कौन साध
पंछी सूं पद पठात, गणिका सी तारी
हे गोविन्द...
2 ध्रुव के सिर छत्र देत, प्रह्लाद को उबार लेत
भक्त हेतु बांध्यो सेतु,लँका पूरी जारी
हे गोविन्द...
3 गज को जब ग्राह गस्यो, दुशासन चीर खस्यो
सभा बीच कृष्ण कृष्ण,द्रोपदी पुकारी
हे गोविन्द.....
4 इतने में हरि आय गये, वसानन आरूढ़ भये
सूर श्याम द्वारे ठाढ़ो,आंधरो भिखारी
हे गोविन्द.....
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