श्री
मङ्गला आरती,कार्तिक मास की
पेली आरती गजानन्द की गवरी पुत्र गणेश
सवामण को करे कलेवो,मोदक भोग लगाय जी
म्हांन दरशण दीज्यो,जन्म सुधारे मङ्गला आरती
चरणां म राखो,काया सुधारे मङ्गला आरती
रामा, दूजी आरती,जगदीश जी की,लगे छतिसुं ही भोग
तुलछि ले,चरणामृत लेस्यां, कटे जीव का रोग जी
म्हांन दरशण दीज्यो.........
रामा, तीजी आरती सत्यनारायण जी की,केला रो परसाद
बांवे अंग में लक्ष्मी विराजे ,गेणां रत्न जड़ाव जी
म्हांन दरशण दीज्यो........
रामा, चौथी आरती रामेश्वर जी की ,फुलां रो श्रृंगार
रामेश्वर जी र देवर जी कोई,चौबीस कुंड को न्हाण जी
म्हांन दरशण दीज्यो.........
रामा पांचवीं आरती बद्रीनाथ जी की ,आप पहाड़ां र मांय
बद्रीनाथ जी र चढ़ता स कोई,थर थर कांप जीव जी
म्हांन दरशण दीज्यो.......…
रामा छठी आरती चारभुजा जी की शोभा बरनी न जाय
चारभुजा र देवर स कोई,दरशण करा म्हे तो जाय जी
म्हाने दरशण दीज्यो......
रामा सातवीं आरती द्वारकानाथ की,शोभा बरनी न जाय
दरशण करस्यां,भोग लगास्यां, दोनों हाथां जोड़ जी
म्हाने दरशण दीज्यो.......
रामा, आठवीं आरती साँवला सेठ की सुणज्यो चित्त लगाय
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,गल पुष्पों की माल,जी
कोई संग राधा जी रो साथ जी,म्हाने दरशण.....
रामा, नित उठ मङ्गला गाइये,र नित उठ मंगलाचार
हरि भजयां स्यूं हरि का होइसी,पापल गोता खाय जी
म्हाने दरशण दीज्यो........
जो उग्या सो आन्थसी, र जो आया सो जाय
फूल्या सो कुम्हलाये सी जी कोई,सुता गोता खाय जी
म्हाने दरशण दीज्यो........
झांकी कर लीज्यो, मुक्ति रो मारग ,मङ्गला आरती
म्हांपे किरपा किज्यो,कारज सुधारे मङ्गला आरती
बोलिये श्री कृष्णचन्द्र भगवान की जय
मङ्गला आरती,कार्तिक मास की
पेली आरती गजानन्द की गवरी पुत्र गणेश
सवामण को करे कलेवो,मोदक भोग लगाय जी
म्हांन दरशण दीज्यो,जन्म सुधारे मङ्गला आरती
चरणां म राखो,काया सुधारे मङ्गला आरती
रामा, दूजी आरती,जगदीश जी की,लगे छतिसुं ही भोग
तुलछि ले,चरणामृत लेस्यां, कटे जीव का रोग जी
म्हांन दरशण दीज्यो.........
रामा, तीजी आरती सत्यनारायण जी की,केला रो परसाद
बांवे अंग में लक्ष्मी विराजे ,गेणां रत्न जड़ाव जी
म्हांन दरशण दीज्यो........
रामा, चौथी आरती रामेश्वर जी की ,फुलां रो श्रृंगार
रामेश्वर जी र देवर जी कोई,चौबीस कुंड को न्हाण जी
म्हांन दरशण दीज्यो.........
रामा पांचवीं आरती बद्रीनाथ जी की ,आप पहाड़ां र मांय
बद्रीनाथ जी र चढ़ता स कोई,थर थर कांप जीव जी
म्हांन दरशण दीज्यो.......…
रामा छठी आरती चारभुजा जी की शोभा बरनी न जाय
चारभुजा र देवर स कोई,दरशण करा म्हे तो जाय जी
म्हाने दरशण दीज्यो......
रामा सातवीं आरती द्वारकानाथ की,शोभा बरनी न जाय
दरशण करस्यां,भोग लगास्यां, दोनों हाथां जोड़ जी
म्हाने दरशण दीज्यो.......
रामा, आठवीं आरती साँवला सेठ की सुणज्यो चित्त लगाय
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,गल पुष्पों की माल,जी
कोई संग राधा जी रो साथ जी,म्हाने दरशण.....
रामा, नित उठ मङ्गला गाइये,र नित उठ मंगलाचार
हरि भजयां स्यूं हरि का होइसी,पापल गोता खाय जी
म्हाने दरशण दीज्यो........
जो उग्या सो आन्थसी, र जो आया सो जाय
फूल्या सो कुम्हलाये सी जी कोई,सुता गोता खाय जी
म्हाने दरशण दीज्यो........
झांकी कर लीज्यो, मुक्ति रो मारग ,मङ्गला आरती
म्हांपे किरपा किज्यो,कारज सुधारे मङ्गला आरती
बोलिये श्री कृष्णचन्द्र भगवान की जय
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