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कार्तिक के भजन,म्हारो मदन मोहन घनशयाम

                      श्री
          कार्तिक मास के भजन
 म्हारो मदन मोहन घनश्याम ,कलेवो करन्ताई मुळ्के
म्हारो श्याम सुंदर भगवान,कलेवो करन्ताई मुळ्क्या
सखी री,घुघर वाला केश ,काना म हरि के कुण्डल चमके,हरि हरि,काना म.......
म्हारो मदन मोहन........
सखी री,गल वैजंतीमाळ्, हिवड़े तो हरि के हीरा बळ्के
हरि हरि,हिवड़े तो......
म्हारा मदन मोहन.......
सखी री,माखण मिश्री को भोग,पूड़ी तो हरि र गळ् अटक
हरि हरि,घेवरिया हरि र.......
म्हारा मदन मोहन.......
सखी री,दूधा भरी रे गिलास,श्याम पिग्यो एक गुटके
हरि हरि,कृष्ण पिग्यो........
म्हारो मदन मोहन.......
सखी री,आयो गंगा जी को घाट,श्याम बैठ्यो बणठण के
हरि हरि कृष्ण बैठ्यो........
म्हारो मदन मोहन.......
सखी री,आयो जमुना जी को घाट,श्याम कुदयो बेधड़के ,हरि हरि कृष्ण कुदयो.......
म्हारो मदन मोहन........
सखी री राधा रुक्मण नार,कुब्जा र संग कांई अटक्या
हरि हरि,दास्यां र संग कांई.......
म्हारो मदन मोहन........
सखी री चन्द्रसखी भज बाल ,चरणां म म्हारो चित्त अटके, हरि हरि पगल्यां म म्हारो मन.....
म्हारो मदन मोहन.......

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