श्री
कार्तिक मास के भजन
पो फाटी दिन उगण लाग्यो,तो कान्हू आड़ौ झेल्यो जसोदा
दही रो सबढको लालजी न भावे
ओ ले रे कान्हा,लाडू जी पेड़ा, तो
रुचि रुचि भोग लगावो लालजी,दही रो......
ना चाहिये मैया लाडू जी पेड़ा,
तो म्हांन म्हारो माखण घालो ए मैया
दही रो......
ओ ले रे कान्हा,सिरो पूड़ी तो
रुचि रुचि भोग लगावो लालजी
दही रो.....
ना चाहिए मैया सिरो पूड़ी तो
म्हांन म्हारो माखण घालो ऐ मैया
दही रो......
ओ ले रे कान्हा,घेवर फिनी तो
रुचि रुचि भोग लगावो लालजी
दही रो.........
ना चाहिए मैया घेवर फिनी तो
म्हांन म्हारो माखण घालो ऐ मैया
दही रो........
ओ ले रे कान्हा,दड़ी रे गेडियो
तो साथयाँ म रमण जाओ लालजी
दही रो .......
ना चाहिए मैया दड़ी रे गेडियो तो
म्हांन म्हारो माखण घालो ऐ मैया
दही रो .....
ओ ले रे कान्हा,चिड़ी जी बल्लो तो
साथयाँ म रमण जावो लालजी
दही रो........
ना चाहिए मैया चिड़ी जी बल्लो तो
म्हांन म्हारो माखण घालो ऐ मैया
दही रो.......
मात जसोदा न रिस ज आई तो
थप्पड़ च्यार लगाई लाल के
दही रो......
रोवन्त ठनकत आड़ो झेल्यो तो
म्हांन म्हारो माखण घालो ए मैया
दही रो........
बार स्यूं बाबा नन्द जी पधारया
म्हार कान्हा न कुण रुवाण्यो ऐ राण्या
दही रो........
थारो कान्हू बड़ो रे हठीलो तो
नित उठ माखण मांग नन्द बाबा
दही रो ......
बाबा नन्द के नोउ लख गायां
म्हार कान्हा न माखण को कांई घाटो ऐ राण्या
दही रो......
ओ ले रे कान्हा माखण मिश्री तो
रुचि रुचि भोग लगावो लाल जी
दही रो ......
भावे जितरो खावो रे लाला
बाकी को रे लुटावो लालजी
दही रो.........
चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि
हरि के चरणां म चित्त लाग्यो लालजी
दही रो......
कार्तिक मास के भजन
पो फाटी दिन उगण लाग्यो,तो कान्हू आड़ौ झेल्यो जसोदा
दही रो सबढको लालजी न भावे
ओ ले रे कान्हा,लाडू जी पेड़ा, तो
रुचि रुचि भोग लगावो लालजी,दही रो......
ना चाहिये मैया लाडू जी पेड़ा,
तो म्हांन म्हारो माखण घालो ए मैया
दही रो......
ओ ले रे कान्हा,सिरो पूड़ी तो
रुचि रुचि भोग लगावो लालजी
दही रो.....
ना चाहिए मैया सिरो पूड़ी तो
म्हांन म्हारो माखण घालो ऐ मैया
दही रो......
ओ ले रे कान्हा,घेवर फिनी तो
रुचि रुचि भोग लगावो लालजी
दही रो.........
ना चाहिए मैया घेवर फिनी तो
म्हांन म्हारो माखण घालो ऐ मैया
दही रो........
ओ ले रे कान्हा,दड़ी रे गेडियो
तो साथयाँ म रमण जाओ लालजी
दही रो .......
ना चाहिए मैया दड़ी रे गेडियो तो
म्हांन म्हारो माखण घालो ऐ मैया
दही रो .....
ओ ले रे कान्हा,चिड़ी जी बल्लो तो
साथयाँ म रमण जावो लालजी
दही रो........
ना चाहिए मैया चिड़ी जी बल्लो तो
म्हांन म्हारो माखण घालो ऐ मैया
दही रो.......
मात जसोदा न रिस ज आई तो
थप्पड़ च्यार लगाई लाल के
दही रो......
रोवन्त ठनकत आड़ो झेल्यो तो
म्हांन म्हारो माखण घालो ए मैया
दही रो........
बार स्यूं बाबा नन्द जी पधारया
म्हार कान्हा न कुण रुवाण्यो ऐ राण्या
दही रो........
थारो कान्हू बड़ो रे हठीलो तो
नित उठ माखण मांग नन्द बाबा
दही रो ......
बाबा नन्द के नोउ लख गायां
म्हार कान्हा न माखण को कांई घाटो ऐ राण्या
दही रो......
ओ ले रे कान्हा माखण मिश्री तो
रुचि रुचि भोग लगावो लाल जी
दही रो ......
भावे जितरो खावो रे लाला
बाकी को रे लुटावो लालजी
दही रो.........
चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि
हरि के चरणां म चित्त लाग्यो लालजी
दही रो......
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