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कार्तिक के भजन।तुलसी जी के विवाह का भजन (Tulsi Bhajan)


                           श्री
       तुलसी जी के ब्याव का भजन
सात सखी मिल पाणी न चाली तो
सातूं ही एक उनियारा हो राम
भरण गई जळ जमुना रो पाणी
साग की साथण यूं उठ बोली तो
तुलछां जी अखन कंवारा हो राम
भरण गई.......
रोंवत, ठणकत घरां तो पधारी तो
बाबोजी कण्ठ लगाई हो राम
भरण गई.......
कांई बेटी तन भूतां डराई तो
कांई सेडल होय आई हो राम
भरण गई........
कांई बेटी तन बापूजी मारी तो
कांई मायड़ धमकाई हो राम
भरण गई........
कांई बेटी तन बिरोजी मारी तो
कांई भोजायां दुतकारी हो राम
भरण गई......
ना बाबोजी म्हांन भूतां डराया तो
ना सेडल होय आई हो राम
भरण गई.........
ना बाबोजी म्हांन बापूजी मारी तो
ना मायड़ धमकाई हो राम
भरण गई..........
ना बाबोजी म्हांन बिरोजी मारी तो
ना भोजायां दुतकारी हो राम
भरण गई.........
सागे की साथण यूं उठ बोली तो
तुलछां जी अखन कंवारा हो राम
भरण गई.........
कांई बेटी थान ईसर बर हेरां ,तो
कांई ब्रम्हा बर हेरां हो राम
भरण गई........
कांई बेटी थान चांदो बर हेरां तो
कांई सूरज बर हेरां हो राम
भरण गई........
ईसर तो सोला दिन आवे तो
ब्रम्हा जी वेद पढ़ावे हो राम
भरण गई........
चांदो तो चोपायां उग तो
सूरज की किरणा घणेरी हो राम
भरण गई......
म्हांन तो बाबोजी शालिग्राम बर हेरो तो
बे म्हार मन म भाया हो राम
भरण गई........
पांच सुपारी रोक रुपया तो
तुलछां की हुई है सगाई हो राम
भरण गई........
आला गीला बांस कटाया तो
तोरण खम्ब रूपाया हो राम
भरण गई........
चुगमा चुगमा सखियाँ बुलाई तो
हँस हँस मङ्गल  गाया हो राम
भरण गई.......
पढिया गुणीया बिप्र बुलाया तो
हर हथलेवो जुड़ाया हो राम
भरण गई........
तुलछां को चीर ,ठाकुरजी को दुप्पटो तो
घुल घुल गांठ घुलाया हो राम
भरण गई......
पेलो फेरो लियो बाई तुलछां तो
तुलछां बाबोजी न प्यारा हो राम
भरण गई......
दूजो फेरो लियो बाई तुलछां तो
तुलछां बापूजी न प्यारा हो राम
भरण गई.......
अगणु फेरो लियो बाई तुलछां तो
तुलछां माताजी न प्यारा हो राम
भरण गई.......
चौथो फेरो लियो बाई तुलछां तो
तुलछां जी हुया रे पराया हो राम
भरण गई........
तुलछां परण ठाकुर घर आया तो
हो रही जय जयकार हो राम
भरण गई.........
साग की साथण यूं उठ बोली तो
तुलछां जी के तप कीन्ह्यो हो राम
भरण गई.......
सावण म ए भेण्यो साग ना खायो तो
भादो म दूध न दही हो राम
भरण गई.......
आसोजां म भेण्यो गिवला ना खाया तो
काति म घिरत ना चाख्यो हो राम
भरण गई.......
मिंगसर म ऐ भेण्यो मूंग ना खाया तो
पोआं म पगां ए उघाड़ा हो राम
भरण गई......
माघ महीना म माँझल न्हाया तो
आगण कुई रे खुदाई हो राम
भरण गई.......
फ़ागण म ए भेण्यो फाग ना खेली तो
भर पिचकारी ना मारी हो राम
भरण गई......
चेतां म ए भेण्यो बोर ना खाया तो
निर्णी गौरल पूजी हो राम
भरण गई.......
बेसाखां ए भेण्यो फूल ना सूँघया तो
केवड़ा मरुवा छाया हो राम
भरण गई......
जेठा म ए भेण्यो जेठूडा झेलया तो
बिन मांग्यो पाणी पियो हो राम
भरण गई......…
अषाढ़ा म भेण्यो सेज ना सुत्या तो
ना पँखो ढलकायो हो राम
भरण गई.........
फिर घिर ए भेण्यो सावण आयो तो
बारामास्यो नेम निभाया हो राम
भरण गई.......
इतरा ए भेण्यो जप तप किह्या तो
जद रे कृष्ण बर पायो हो राम
भरण गई......…
सौवां ऊंवारी ऊठां संवारी तो
जद रे कृष्ण बर पायो हो राम
भरण गई........
हळ्वा सा बोलां न धीमा सा चालां तो
जद रे कृष्ण हर न प्यारा हो राम
भरण गई.......

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