Bhajan that connects with spirituality...

बड़ी तीज की कहानी

                             श्री
 एक साहूकार हो।बिक सात बेटा हा।बडा बेटा को ब्याव हुयो।भादवा म बड़ी तीज को व्रत आयो।साहूकार की बहू आपकी बहु न साग लेर घर म नीम को गाछ हो बिकी पूजा करि।नीम की जड़ म एक सर्पिणी ब्याएडी ही।बिका अंडा पूजा क पाणी हूं गल र खतम हुग्या।जणा बि सर्पिणी क दुराशिष हूं साहूकार को बेटो मरग्यो।साहूकार का छः बेटा को ब्याव हुयो इसी तरहा खड़ो नीम पूजता बी टाइम ही सर्पिणी का अंडा खत्म हु ज्याता हर सर्पिणी क श्राप हूं छः बेटा मर ज्याव।सातवां बेटा को ब्याव कर।बा बहु भोत पढ़ी लिखी हुअ।भादवा म तीज माता को व्रत आयो।सासु केव चाल बहु नीम की पूजा करा ।जद बहु केव सासुजी खड़े नीम की पूजा नहीं करणी।पेड़ की जडा म जीव हुअ जिनावर हुअ बे पाणी हूं मर ज्याव जणा जीव हत्या लाग।थे तालाब की कॉलर माटी मंगाओ आपां नीमड़ी मांड र पूजा करा।जणा बिकी सासु तालाब की माटी मंगाव।बहु पाटा क उपर आकड़ का पता लगार तलाई बनाव।एक पाणी की हर एक दूध दही की हर नीम की डाली रोप र नीमड़ी की पूजा कर।बी साल सर्पिणी का बच्चा बच ज्याव।जणा सर्पिणी बिल मु बार निकल र आव हर आशीष देव क सेल सपूती हुई सर्ब सुहागण हुई ।आज म्हारा बच्चा बच गया नहीं तो हर साल थार पूजा क पाणी हु म्हारा अंडा खत्म हु ज्याता।थारो सुहाग मोकलो रेव।जद बहु केव म्हारा छ जेठ खत्म हुग्या बान भी जिंदा कर।जणा सर्पिणी चीटूली आंगली को छांटो घाल जणा साहूकार का छहूं बेटा जिंदा हु ज्याव।जद सासू उठ र बहु क पगां लागण् लाग जणा बहु केव सासुजी गंगा उल्टी कोनी बेव।में लागूं थार पगां थे लागो नीमड़ी माता क पगां।ई वास्त हमेशां नीमड़ी मांड र पूजा करणी।है नीमड़ी माता बिन टूठि जीसी सन टूठि।कहता न, सुणता न, हुंकारा देता न आपक सारा परिवार न टूठि।बोलो नीमड़ी माता की जय

No comments:

Post a Comment