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तीज की कहानी

                       श्री
एक बेन भाई हा।बेन तीज को बरत करती हर भाई पे ल दिन पीर सूं बारो ओढ़णो, साड़ी ले र आतो।एक साल भाई बारो ले र आयो कोनी।बेन अडिकती रेगी।अडिकतां अडिकतां सींझ्या हुगी जणा बिंको धणी बोल्यो कि म तन बजार सूं बारो ल्या देसूं।इतो केर बो चाल्यो अर एक साहूकार की दुकान म लुक र बैठ ग्यो।साहूकार दुकान बंद कर चल्यो ग्यो जणा बो आटा मु आटो काढयो, बेसण् मु बेसण् काढयो,घी मु घी काढयो चिणी मुं चीणी काडयो साड़ी कबजो  भी निकाल लियो ।पण दुकान क तो तालो लागेडो हो ।बार किंया निकल।जणा बैठ्यो बैठ्यो कर *अठ इयां बठ बियां आ काजली तीज हुसी किंयांक * ।रस्ते बैंवता लोग सुण्या बे जार साहूकार नं केव थारी दुकान मं तो चोर बड़ग्या।साहूकार आर दुकान खोली हर बिंन पूछ कि भाई तूं कुण हेै।जणा बो सारी बात बताव ।हर केव भाई पिण्डो ,साड़ी,कबजो नहीं ल्याई तो म्हारी लुगाई को बरत पूरो कानी हुअ ।जणा बो साहूकार केव थे घरां जावो।आज स्यूं थारी लुगाई म्हारी धरम की बेन है।मं सगलो सामान ले र आऊं।जणा बो साहूकार सगलो सामान ले र बी साहूकार क घरां जाव।हर बीरी लुगाइ नं आपकी बेन बणार सारो सामान देव।जणा बा आपको बरत पूरो कर।पण बीं दिन पछ केव कि भाई पिण्डा कपड़ा ल्याव तो बडिया पर भाई दूर हुअ नहीं पहुंच सक तो ऒ नेम नहीं राखणू कि पिर को ही पिण्डो हुणो ।आपक घरां पिण्डा बणा लेणा।हे तीज माता बीं साहूकार की लाज राखी बीसी सबकी राखजे।घटी है तो पूरी करजे,पूरी है तो परवाण करजे।बोलो तीज माता की जय।

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