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तपिया की कहानी।


                                     श्री         

एक डाकू हो।जंगल लूट खसोट करतो।एक दिन शिवजी पार्वती जी निकल्या।बो डाकू बान पकड़ लियो।जणा शिवजी डाकू केव,तूँ इति लूट खसोट कर,जीव हत्या कर,पाप लाग।थार पाप को और कुण् सिरी है।थार घर जार पूछ आ।जणा बो केव थे भाग नहीं ज्यावो खातर पीपल के पेड़ बांध जाऊं।बो आपक घर जार बाप पूछ,बापूजी इतो धन कमार  ल्याऊ जणा जीव हत्या हुअ बीम थे म्हार साग पाप का सिरी हुओ? जणा बिरो बाप केव ,तन पालपोस मोटो कर दियो,अब थारो फर्ज है म्हारी पालना करना को ।किंया ही ल्या तूं म्हारो पालण कर।म्हे तो पाप को सिरी कोनी।जणा बो आपकी माँ पूछ,जद माँ केव,तन नो मास पेट राख्यो,तन जन्म दियो,पालपोस मोटो करयो,थारो ब्याव कर दियो।अब तो थारो फर्ज है म्हारी सारसंभाल करणा को।तूं पाप हूँ कमा चाहे पुन हूँ कमा, थार पाप की सिरी कोनी।बो निरास हुर आपकी लुगाई पूछ ,तूं तो है पाप की सिरी।जणा लुगाइ केव,थे मन परणीज ल्याया,सात फेरा लिया जणा थारो फर्ज है म्हारो पालण पोसन करणा को।चाहे पाप हूँ कमावो चाहे धर्म हु।म थार धर्म की तो सिरी हु पण पाप की कोनी।जणा बो एकदम निरास हु ज्याव।जित ही पालण सूती बीरी भाण्जी केव,मामा हु थार पाप की सिरी।बो आपकी भाणजी कंधोला पर बिठार शिवजी पार्वती जी कन आव।बांक पगां पड़ ज्याव।महाराज इतो पाप करयो,म्हारो जीवन किंया सुधर सी।जणा शिवजी केव भाण्जी कंधोल पर बिठार पिंपल पेड़ की परिक्रमा करतो हर राम राम रटतो र।शिवजी पार्वती तो रमता राम हा रमग्या।बो राम राम रटतो ज्याव पीपल परिक्रमा देतो ज्याव।बारा बारा बरस बीत ग्या।एक दिन पार्वती जी केव महाराज बिन जार सम्भालो तो सरि।जणा शिवजी पार्वती जी जंगल आव तो राम नाम को रणकार गूंज,गोडा गोडा सुदी घास उग गि। काना चिड़कल्या आला घाल लिया।छोटी सी भाण्जी परनान साव हुगी।पर बो तो एक ही जीस्यो पीपल चक्कर काट हर राम राम रट।शिवजी परीक्षा लेण् तांई सवा लाख को मूंदडो नीच राल, चमकतो दिख जणा टंटोल गोडा नीच ले लेव।शिवजी पूछ तपियो तपसी लोभी।बो केव महाराज ,तपस्या करतां ईता साल बीत गया।लोभ को कांई देख्यो तपसी ही हूँ।जद शिवजी केव,कर रे मोडा गोडा ऊंचो ।गोडा नीच हु मुंधडो निकल ज्याव।जणा शिवजी केव भाया थारी तपस्या करेड़ी तो बेकार हुगी।जद बो भगवान का पग पकड़ लेव कि महाराज म्हारो कीं तो निस्तारो करो।जणा भगवान केव काणी कथा केर दो नाम थारा नहीं लेई तो केण् हाली फल कोनी हुअ तन हु ज्याई, ले लेई जणा आंगली हु ज्याई।ब्राम्हण जिमार दिखण् नहीं देई तो तन फल हु ज्याई,दे देई तो आगली हु ज्याई।साड़ी देर ब्लाउज नहीं देई,ओढनी देर कांचली नहीं देई तो देण् हाली ण् फल कोनी हुव तन हु ज्याई,दे देई जणा आगली हु ज्याई।है महाराज तपियो तपेसरी।लोभियो लोभेसरि।तपिया तप रो फल, म्हान म्हारी काणी कथा को फल।घटी है तो पूरी करी, पूरी है तो परवाण चढ़ाई।बोलो श्री तपिया की जय।

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