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गणेश जी की कहानी

                                                         
एक साहूकार हो।बिंक एक बेटो बहु हा।आगले जमान म सासुआं बहुआं न सो क्यूं खा बा न कोनी देती।बहु रोज पाणी ल्याणं तालाब जाती।बठ एक गणेश जी को मंदिर हो।एक दिन बहु न चूरमो खाण की मन म आयगी।बा आपकी छान सी घर स्यूं आटो,चिणी,हर घी ले र पाणी ल्याणं चली गयी।पडोसनयाँ सगळी पाछी चली गई जणा बा आपकी गणेशजी क मन्दिर म गई।अब बिर कन चीज तो सारी ही,बा आपकी पेड़ा का पत्ता भेला कर र आटो ओसन लियो।लकड़याँ ल्यार चूल्हों जगार रोटियों सेक लियो।पण अब कूट क्याम।इत्यान गणेशजी की सुंड दिखी।बा  भोली ही ।बा तो आपकी बीम ही चूरमो कूट लियो।दो लाडू बणार एक गणेश जी क चढ़ा दियो एक आप जिम ली ।गणेश जी न भोत अचम्बो हुयो।बे आपकी चीटूली आंगली नाक क लगा ली।दूसर दिन पुजारी पूजा करण् आयो तो गणेश जी की मूर्ति देख र घबराय ग्यो।घणी कोशिश कर ली पण आंगली तो हट ही कोनी।जणा नगर को राजा डिंडोरो फिराव क जको गणेश जी की आंगली हटवाई बिन आधो राज दे देउँ।बड़ा बड़ा पण्डित हार गया कोई आंगली कोनी हटा सक्या।साहूकार क बेटा की बहू सुन्यो जणा बा आपकी सासु न केव मन जाण् दयो म हटवा देउँ आंगली।बिंकि सासु केव बड़ा बड़ा पण्डित ही हार गया तूं किंया हटवा देई।पण बा केव नहीं ,मन जाण् दयो मन एक मोको देवो ,घर स्यूं मन्दिर तक परदा लगवा दयो।म हटवा देउँ आंगली।जणा पूरी दूर परदा लगवा दिया।साहूकार की बहू मन्दिर म जार मूर्ति कन खड़ी हुर केव,**क्यूँ रे गणेश का बेटा,आटो ल्याई म्हार घर स्यूं ल्याई, घी ल्यायी म्हार घर स्यूं ल्यायी ,चीणी म्हार घर स्यूं ल्याई थारो कांई लियॊ।बणायो मं ,थारी सूण्ड मं कुटयो जिस्यौ थार एक लाडू चढ़ा दियो ।इम आंगली नाक क लगाण् की कांई बात है।भोला रा भगवान हुया कर।इतो सुण र गणेशजी न बिर भोलापन पर हंसी आयगी।हर बे आपकी आंगली हटा ली। सगल जय जय कार हुण् लागी।जद राजा आपको आधो राज बहु न दे दियो।है गणेशजी महाराज घटी है तो पूरी करिया, पूरी है तो परवान चढ़ाया।बोलो गणेशजी महाराज की जय



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