मेरी
सुध लोगे गिरधारी,मेरी सुध
लोगे बनवारी...
(1) जब भरी
सभा मे द्रोपदी
ने आर्त हो तुम्हें पुकारा
सारे
रिश्ते बेकार हुए
और रहा ना कोई सहारा
तब
देर ना की,प्रभु पल
भर की,और खुद ही
बन गए साड़ी
मेरी
सुध लोगे गिरधारी...
(2) जब
गज और ग्राह
लड़े जल में संकट में
प्राण थे आए
हे
दिनों के दीनानाथ
प्रभु अब तुम बिन कौन
बचाये
तब
चक्र सुदर्शन धारण
कर के गज की बिगड़ी
संवारी
मेरी
सुध लोगे गिरधारी...
(3) जब
भक्त प्रह्लाद पे
आई तो ,तुमने
ही आन बचाया
तुम
खम्ब फाड़ कर प्रगट भए
,पर भक्त का वचन निभाया
कांपे
थर थर ,धरती
अम्बर ,पर भक्त तो है
बलिहारी
मेरी
सुध लोगे गिरधारी...
(4) कितनों
को तूने तारा
है ,कितनों को
तुनें उबारा
कितनों
की डूबती नैया
का प्रभु तुम
खुद बने सहारा
पुष्पा
ये कहे,प्रभु
सबकी सुनी ,पर
अब है मेरी बारी
मेरी
सुध लोगे गिरधारी,मेरी सुध
लोगे बनवारी…
देखा
ना तुझे,फिर
भी है मुझे प्रभु तेरा
भरोसा भारी
मेरी
सुध लोगे गिरधारी,मेरी सुध
लोगे बनवारी…
(visit my youtube channel to listen to the bhajan)
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ReplyDeleteThankuu
ReplyDeleteAakhir Kyon देखा ना तुझे,फिर भी है मुझे प्रभु तेरा भरोसा भारी
ReplyDeletePauranik Kathayenthanks for articals