श्री
म्हारा घट मां विराजता श्रीनाथजी, यमुनाजी,महाप्रभुजी
म्हारो मनड़ो छ गौकुल बनरावन,
म्हारे तन नां आँगणिये मां तुलसी ना वन
म्हारा प्राण जीवन,ए म्हारा घट......
म्हारा आत्म न आंगणे श्री महाकृष्ण जी
म्हारी आंखों विसे गिरिधारी रे धारी
म्हारो तन मन गयो जेने वारी रे वारी
म्हारा श्याम मुरारी,ए म्हारा घट.....
हे म्हारा प्राण थकी म्हांने वैष्णव व्हाळा
नित करता श्री नाथ जी ने काळा रे वाळा
मैं तो वल्लभ प्रभु जी नां कीधा छ दर्शन
म्हारो मोहि लियो मन ,ए म्हारा घट.......
हूँ तो नित्य विठ्ठल वरणी सेवा रे करूँ
हूँ तो आठे समा केरी झाँकी रे करूँ
मैं तो चितडो श्री नाथ जी ने चरणोँ धरूँ
जीवन सफ़ल करूँ,ए म्हारा घट......
मैं तो भक्ति मारग केरो संग रे साद्यो
मन्ने घणो कीर्तन केरो रंग रे लाग्यो
मैं तो लाला नि लाली केरो रंग रे मांग्यो
हिरलो हाथ लाग्यो,ए म्हारा घट......
हे आवो जीवन मां ल्हावो फ़ेर कदे नां मळे
वारे वारे मानव देह,कदे नां मळे
ऐरो लख रे चौरासी ना म्हारो रे फ़ळे
मने मोहन मळे ,ए म्हारा घट......
हे म्हारी अंत समय केरी सुणो रे अर्जी
लीज्यो श्री जी बाबा शरणों मां दया रे करी
मने तेड़ा रे यम केरा कदे नां आवे
म्हारो नाथ तेडावे ,ए म्हारा घट.....
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