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Anurodh (हरि की कथा में, परमात्मा.....


                                 श्री

हरि की कथा में, परमात्मा पधारो जी

आवोजी दयालु नाथ,काज को सुधारो जी


आनन्द के कंद, गजानन्द को मनायो है

आवोजी विराजो प्रभु आसन लगायोहै

गावें गुण गान दाता, कछुक तुम्हारो जी

आवोजी.......


मैं हूं पापी नीच,महा क्रोधी और कामी जी

सुनो जी दयालु मैं तो,पापियों में नामी जी

ऐसे महा पापियों को आप ही सुधारो जी

आवोजी........


दीनबन्धु दीनानाथ दयालु को नाम है

ऐसे रघुनाथ जी के,चरणों में प्रणाम है

मेरे तो दयालु दाता आपको सहारो जी

आवोजी......


कुबुद्धि मिटाय बुद्धि विमल बनावो जी

आवो प्रभु आवो,ज्यादा मत तरसावो जी

सुख कर दीज्यो दाता, दुःख मेटो सारो जी

आवोजी......


जैसो हूँ मैं तैसो दाता, आपको सहारो जी

आप ही बता दो प्रभु कहाँ अब जाऊँ जी

आपके बिना तो मेरो कौन रखवालो जी

आवोजी......


भक्ति को वरदान दे,दयालु दया कीजिये

ऐसे दीन भक्तों की पुकार सुण लीजिए

क्षमा कर दिज्यो अपराध तो हमारो जी

आवोजी.....

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