श्री
बुजुर्गों के आशीर्वाद,अपनों की दुआएं
सत्कर्म हुए जब फ़लदायी
प्रभु कृपा सें, तब नन्ही परी
गुनगुन हमारे अँगना आयी
राठी खानदान की नई पीढ़ी की
प्रथम सन्तान बन कर आई
तीन पीढ़ीयों की शुरुआत बेटी सें हुई है
वही श्रंखला आगे चलाई
14 सितम्बर 2015 को गूँजी
जब नन्हीं किलकारी
एक साथ कई रिश्तों की महक सें
महक उठी फुलवारी
दादा-दादी,पापा-मम्मी,
भुआ-चाचू बन हर्षाये
एक तेरे आने सें ही
इतने नए रिश्ते मुस्काये
नाना-नानी, मामा - मासी,
फूले नहीं समाये हैं
आनन्द ख़ूब मनाएं सब मिल
गीत ख़ुशी के गाये हैं
तेरी हर पहली हरक़त को
सँजो करके रख लिया है
तेरे रूप में ही मानों हमने
अपना बचपन फ़िर सें जिया है
दस साल यूँ निकल गए,
जैसें कल की ही बात हो
सदा ख़ुश रहना,तुझ पर
खुशियों की बरसात हो
पढ़ लिख कर,होशियार बनकर
जग में नाम उज़ागर करना
सभी सदगुणों को अपनाकर
परम् लक्ष्य को हासिल करना
शुभेच्छु
" माँ -दादू "
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