आज बिरज में होरी र रसिया
घर घर से ब्रज बनीता आई
कोई श्यामल,कोई गौरी र रसिया...
इत तें आए कुंवर कन्हाई
उत तें आई राधा गौरी र रसिया...
कोई लावे चोवा,कोई लावे चंदन
कोई मले मुख रोरी र रसिया.....
के मन लाल गुलाल उड़त है
के मन केसर रोरी रे रसिया
नौ मन लाल गुलाल उड़त है
दस मन केसर रोरी रे रसिया
उड़त गुलाल,लाल भए बदरा
मारत भर भर झोरी र रसिया....
चंद्र सखी भज बालकृष्ण छवि
चिर जीवो ये जोड़ी र रसिया
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