बैंगलोर के बाजार में, मच रह्यो है शोर
सगोजी की घरवाळी न ले गयो काळो चोर
1 रात को सोई थी सगी,अपने महल में
सुबह नहीं पाई वांने अपने पलँग पे
सगोजी घबराया,ढूंढे है च्यारों औऱ
सगोजी की घरवाली....
2 कमरे में देखी सगोजी,आंगण म देखी
रसोई म देखी सगोजी,छत ऊपर देखी
जद पाई कोनी सगी,भाग्या थांणा की ऒर
सगोजी की ......
3 रपट लिखाकर सगोजी,घरां जद आया
आपणी सगी न बैठ्या, दरवाजे पे पाया
म्हारै टाबरां की मम्मी, क्यूँ गई मने छोड़
सगोजी की....
4 सगीजी न देख,सगोजी रोवण लाग्या
आँसुआ सूं पगल्या बांरा धोवणं लाग्या
सगीजी सगोजी की है प्रीत बड़ी जोर
सगोजी की.....
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