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जगत सेठ तने लोग कहे,...Jagat seth ..Narsi ji ka bhajan

                               श्री
जगत सेठ तने लोग कहे,आ बात है जाळी रे
मेरे लिए तेरी कोथळी क्या,हो गई खाली रे
# सास ,ननद,ताना देवे,और नाराणयूं झुँझलावे
बिनां माय की बेटी न अब,हिवड़े कौन लगावै
हो हैरान नानी बाई,खाले ना भुजाली रे
मेरे लिए....
# जो समधां पत्री भेजी,बा मैं तने भिजवाई
दाम गाँठ का लागे जद तूँ कर ली आंख मिचाई
तूं भी के मेरे जैसो,हो गयो कंगाली रे
मेरे लिए......
# तेरे भरोसे आय गयो, प्रभू करी नहीं कछु त्यारी
खबर नहीं थी मेरे में तूँ, करसी ऐसी खारी
मेरी लाज गई सो गई,अब तेरी सम्भाळी रे
मेरे लिए.....
# जद भी लोग बुलायो आयो,अब क्यूं कर दियो मोड़ो
भात भरण की बेळा में,थारे आय गयो कांई तोड़ो
मेरी बेर ख़ज़ाने की ,क्या खो गई ताळी रे
मेरे लिए....
# जे राधा रुक्मण भरमायो,चूक जावेलो मौको
प्राण तजेलो नरसीलो फिर,रह ज्यावेलो धोखो
या दुनिया बात बणावेली,तने दे ली गाळी रे
मेरे लिए....
# म्हांने दुःख है इसी बात को,तेरी जीभ चटोरी
जब ही लेंन बुलावो आयो,देर करी नां थोड़ी
अब के देंणू पड़सी,ले यूँ टालमटाळी रे
मेरे लिए....
# सत्य पुकार सुणी आरत की,सांवलसा झट आयो
कहे नरसीलो सुण रे साँवरा,भोत घणू तरसायो
देवकीनन्दन भात भरयां सूं, दोनयाँ की निभाली रे
मेरे लिए.....

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