श्री
कांई थारो भायलो गोपाल
हरि जी ने, जांचण जाओ जी,कांई थारो...
विप्र सुदामा,सूं तिय बोली,मीठे वचन रसाल
कांई थारो...
* वो है थारो परम सनेही, पढ़या एक पठसाल
ओरां क पिया अन्न धन लिछमी,थे क्यूँ फिरो कंगाल
कांई थारो.....
* द्वारकाधीश है मित्र आपके,कमी नहीं कोई बात
ओरां के पिया महल मालिया, थांरे सिर नहीं छात
कांई थारो....
* विप्र सुदामा पहुँचे द्वारिका,श्री कृष्ण नन्दलाल
सुनी सुदामा मित्र हैं आये,दौड़े दीनदयाल
कांई थारो...
* चरण धोय चरणामृत लिनयो,रुक्मण देखे जात
तन्दुल ले हरि फाँकण लगया,रुक्मण पकड़यो हाथ
कांई थारो...
* टुटी छपरी महल चिणायो,जड़ दिया हीरे लाल
परम् ब्रम्ह जो सुखरहित,आज रोवे झर झर धार
कांई थारो....
हरि जी ने, जांचण जाओ जी,कांई थारो...
विप्र सुदामा,सूं तिय बोली,मीठे वचन रसाल
कांई थारो...
* वो है थारो परम सनेही, पढ़या एक पठसाल
ओरां क पिया अन्न धन लिछमी,थे क्यूँ फिरो कंगाल
कांई थारो.....
* द्वारकाधीश है मित्र आपके,कमी नहीं कोई बात
ओरां के पिया महल मालिया, थांरे सिर नहीं छात
कांई थारो....
* विप्र सुदामा पहुँचे द्वारिका,श्री कृष्ण नन्दलाल
सुनी सुदामा मित्र हैं आये,दौड़े दीनदयाल
कांई थारो...
* चरण धोय चरणामृत लिनयो,रुक्मण देखे जात
तन्दुल ले हरि फाँकण लगया,रुक्मण पकड़यो हाथ
कांई थारो...
* टुटी छपरी महल चिणायो,जड़ दिया हीरे लाल
परम् ब्रम्ह जो सुखरहित,आज रोवे झर झर धार
कांई थारो....
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