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शीतला माता की कहानी (Seetla maata ki Kahani)

                                श्री
                 शीतला माता की कहानी
     ओदरी, बोदरी दो बहना ही।होळी के बाद अष्टमी के दिन बे पूरा गांव म घूम ली, पर उनान कठ ही ठंडो भोजन कोनी मिल्यो।बे गांव के बार आई ।बठे एक झोंपड़ी म एक बुढ़िया आपका बेटा क साग रेंवती।दोनयु बहना बुढ़िया की झोंपड़ी म जार बोली,म्हारो काळजो , पेट बल रह्यो है।म्हांन ठण्डी रोटी और राबड़ी  घाल द।बी बुढ़िया को बेटो भोत बीमार हो,ई कारण बा गरम रशोई बनायी कोनी ही।दो दिन की ठण्डी रोटी,और राबड़ी ही,बा दोनयु बहना न जीमण न दे दी।दोनु बहना जीम र बोली,हर हर,म्हारो काळजो ठर्यो बिस्यो थारो ही ठरज्यो।म्हे ओदरी, बोदरी दो बहना हां।आज सयुं सातवां दिंन पुरो गांव लाय लाग र बळ ज्यासी।पर थारी झोंपड़ी नहीं बळ।
इतो केर बे तो चली गई।बुढ़िया को बीमार बेटो ठीक हुग्यो।फेर सातवां दिन गांव म लाय लागी जको सारो गाँव पाट उतर ग्यो।पर बुढ़िया की झोंपड़ी कोनी बळी।गाँव का लोग जार राजा न शिकायत करी कि सारो गाँव बलग्यो पर ई बुढ़िया की झोंपड़ी को तिनको भी कोनी बल्यो।आ कीं कण कामण करया है।जद राजा बी डोकरी न बुलार पूछ।कि थारी झोंपड़ी क्यूँ कोनी बळी।जणा बा डोकरी सारी बात बताव।कि ओदरी, बोदरी दो बहना आई।बे बोली म्हारो काळजो बळ, ठंडो भोजन,ठण्डी राबड़ी जिमा।म्हे पूरा गाँव म फिरली,कठ ही ठंडो भोजन कोनी मिल्यो।जणा मैं बान ठण्डी राबड़ी रोटी देई।म्हारो बेटो बीमार हो जक सयुं दो दिन सयुं घर म रोटी बणी कोनी ही।जणा बे दोनयु बहना ठंडो जिम र भोत राजी हुई।मन बोली म्हारो काळजो ठर्यो बिस्यो ही थारो ठरज्यो।
जणा राजा बुढ़िया के सागे जाव, और अरदास कर जणा शीतला माता प्रगट हुवे,और बोली,म्हे शीतला माता हां।होळी क बाद अष्टमी न सब कोई ठन्डा खाई ज्यो।और म्हार धोक देई ज्यो।जणा सब कोई शीतला माता के धोक लगाव।शीतला माता बांक अन्न धन भण्डार भर देव।हे शीतला माता,सब न ठण्डी ठेरी राखी।घटी है तो पूरी करी,पूरी है तो परवान चढ़ाई।
सब मिल बोलो शीतला माता की जय।

4 comments:

  1. awesome hindi traditional story
    thanks for your article

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  2. Thanks for you story hindi traditional story Pauranik kathayen

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  3. Aakhir Kyon karni chahiye sheeta mata ki pooja
    Pauranik Kathayen

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