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शिवजी पार्वती की लावणी (Shivji ki Lavani)


श्री शिवजी पार्वती जी की लावणी
 रूपज रूपज धरती न सोवे,तो फूल रही फुलां बाड़ी
नगीनों सो रूप ,सदाशिवजी न सोवे तो फूल रही अम्बा बाड़ी सदाशिव न पार्वती लागे प्यारी,भोला शिव न...........

 1उड़ता सा विमान पार्वती जी देख्या तो ऐ सीध जावे जटाधारी
थांर ए बाबुल घरां,यज्ञ रच्यो है, तो बठे ही जावे सभा सारी, सदाशिव न......
2म्हारे ऐ बाबुल घरां यज्ञ रच्यो है तो आपां ही चालां ओ जटाधारी
आपां के चालयां बिना शोभा नहीं होवे तो आपां ही चालां ओ गंगाधारी,सदाशिव न......
 3कांई ऐ पारबती, कागद आयो तो कांई आई कुंकुंपत्री
बिनां ऐ बुलायां किंया जावां ऐ पारबती तो देखी अक्ल तुम्हारी,सदाशिव न......
 4बैठ विमान पार्वती जी चाल्या तो बाबुल क घर आया बाबोजी बाई रा ,मुख सूं नहीं बोल्या तो थोड़ी थोड़ी माता बोली,सदाशिव न.....
5 बडोडी भोजाई ,बाई र पगां ऐ न लागी तो मुख सूं ना बोल्यो भाई
 छोटकी भेण बाई न ,मौसा जी बोल्या तो बिनां ऐ बुलायां किंया आई,भोला शिव न.....
6हवन कुण्ड बाई री नज़र पड़ी है तो देही भष्म कर डारी, इतने में शिवजी न खबर पड़ी है तो करी नांदया की सवारी,सदाशिव न......
7म्हे थाने पेली,बरज्यो ऐ पारबती बिनां ऐ बुलायां मत जाओ जे कोई शिवजी रो,मांढ़ण गावै ,तो सुणीया ,सदा ही सुख पाई,सदा शिव न......

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