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मोरध्वज की लावणी


श्री मोरध्वज की लावणी सुरसत सिंवरु शारद मात, सुनाय देवूं कथा वेद पुराण क्यूँ छाया हिवड़े अन्धेर-2 एक दिन ठाकुर मतो उपायो,अर्जुन साधु भेष बणायो ल्याया बन में सयुं शेर-2 आया मोरधज क द्वारे,आय कर ड्योडीवान पुकारे ड्योडीवान अरजी सुण ल्यो राजा,थांर बाज छतिसुं ही बाजा म्हांर होय रही छ देर-2 राजा अम्ब बाग स्यु आयो,आय कर चरणा म शीश नुवायो पावां पगड़ी दीन्ही गेर-2 क्यो तो चौका तुरंत लगाय दयूं,रसोई भांति भांति बनवाय दयूं,अब थे जीमो दोन्यूं देव-2 क्याने चौका तुरत लगाय दयो,रसोई भांति भांति बनवाय दयो, पेली जिम म्हांरो शेर-2 क्यो तो भैंसा बकरा मंगवाय दयूं,क्यो तो सिधो मांस मंगाय दयूं,हेलो व्यापारी न देय-2 क्यांने भैंसा बकरा मंगवाय दयो,क्यांने सिधो मांस मंगाय दयो,क्यूं म्हारे झुटो कलंक लगाय दयो हेलो व्यापारी ने देय-2 हाथां रतन कुंवर न चीरो, राजा राणी दोनु चीरो जद थारी भक्ति बणसी हीरो आंख्यां आँसू नहीं गेर-2 राजा राणी न समझावे,द्वारे सन्त दोय पधारया मांग रतन कुँवर की काया,मोको आवे कोनी फेर-2 राजा हाथ मे करोति ले लिनी,एक बाजू राणी न पकड़ा दीन्ही ,बांरी दोय फांक कर डारी एक फांक महलां म रखवा दीन्ही,एक फांक सिंह के आगे नीरी, आंख्यां आंसू नहीं गेर-2 अब तो चौका तुरत लगाय दयूं,रसोई भांति भांति बनवाय दयूं,अब थे जीमो दोन्यूं देव-2 क्याने चौका तुरत लगाय दयो,रसोई भांति भांति बनवाय दयो,आवे कुँवर री उणेर -2 राजा मन काठो कर लीन्हो,हेलो रतन कुँवर न दीन्हो बांर बाँधण पिचरंग पेचो, चमके लीलाड़ी म हीरो मुख म राचे नागर बीड़ो ,ल्याया इंदर लोक सयुं फेर-2 क्यो तो राजा थारी भक्ति बढ़ाय दयूं,गढ़ घोड़ां गढ़ राज बढ़ाय दयूं क्यांने तो म्हारी भक्ति बढ़ाय दयो,गढ़ घोड़ां गढ़ राज बढ़ाय दयो ईसी कोई म कर ज्यो मत ना फेर-2 आगे क़लजुग आसी भारी,थांने माने ना कोई नरनारी ईसी कोई म करज्यो मत ना फेर-2 म्हारो गांव नीलकमठानो,बठ गढ़ छ पुराणो आवे गंगा जी की लहर-2 कथा मोरधज की गाई, गाय कर कंठां सुनाई प्रभु जी करज्यो म्हां पर महर-2 बोलिये भक्त और भगवान की जय ‌

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