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बिनायक जी की कहानी,छोटो सी बालको....

                         श्री                     
           गणेश जी की कहानी             
छोटो सी बालको,चिमठी म चावल,हथेली म दूध लियां घूम।कोई माई खीर बनादयो, कोई माई खीर बनादयो।चिमठी म चावल ,हथेली म दूध की खीर बनान तांई कोई त्यार कोनी हुयो।गांव क बार एक बूढ़ी डोकरी घर के बार बैठी ही।बालक बोल्यो ,माई खीर बना देसी के।डोकरी बोली बना देउँ।जद बालको बोल्यो,थार घर म सब स्यूं बड़ो बर्तन ह बो चढा देई।डोकरी बोली ठीक बात है।गणेश जी महाराज तो रमता राम हा, रमग्या।डोकरी धुकनू घाल्यो, बडो सारो टोपियों लियो।बिंम चावल,दूध घाल र चूल्हा पर चढ़ा र बार आर बेठगी।
बहु पाणी लेर आई ,जणा पूछ,सासु जी धुकनू क्यांको धुकायो हो।म सो क्यूं तो बना र गई ही।सासु बोली,छोटो सी बालको आयो,चिमठी म चावल,हथेली म दूध।मन बोल्यो माई खीर बना देसी के ।मैं बोली बना देउँ।जद बो बोल्यो सबसूं बड़ा बर्तन म चढाई जे।ई वास्त खीर चढ़ार आई हूं।इतो सुणतां ही बहु रिसयां बलगी।थारो तो बूढ़ा सारा को हिंयो ही फुटग्यो।कोई चिमठी म चावल,हथेली म दूध की खीर बनी ही के।बो सारा गांव म भटक र आयो।कोई हां कोनी भरी।जद सासु बोली,बेटा, मैं चढ़ा र आई हूं,तूँ ज्यार उतार द।बहु रसोई म ज्यार देख तो बड़ो सारो टोपियो खीर स्यूं भरिज ग्यो खीर उफ़न उफ़न र ज्याव।खुसबू फैल रही है।बहु न ज़ोरदार भूख लाग गी।बा आपकी कटोरो भर र किंवाड़ ओल बैठ र गणेश जी को नाम लेर खीर सबड़ली।
थोड़ी देर न गणेश जी महाराज आया।सासु बोली आरे गणेश का बेटा,थारी खीर बणगी, भोग लगा ल।जणा गणेश जी महाराज बोल्या।म्हार तो भोग बी टेम ही लाग ग्यो,जद थारी बहु म्हारो नाम लेर,किंवाड़ ओल बैठ र खीर खाई ही।पेली नहीं जिमती तो थारी 21 पीढ़ी तक कोनी निवड़ती।अब थारी 7 पीढ़ी तक कोनी निवड।खूब खाओ,नगर म बंटावो।हे ,गणेश जी महाराज,बिंन टूट्या जिसा सन टूट्या।घटी है तो पूरी करी,पूरी है तो परवान चढाई।
सब मिल बोलो गणेश जी महाराज की जय।

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