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कार्तिक के भजन


                         श्री                           
 Kathik maas ke  bhajan
उठो लालजी भोर भयो है, सुर नर मुनि हितकारी
थे उठो न गिरधारी,थार दरशन की बलिहारी
मुखड़ो धोवो बालमुकुन्दा, थे ल्यो माखन का लोवा
अब थारी मात जसोदा आवे,मज्जन छतिसुं ल्याव
माता थारो महिडो खाटो, गुजरी को महिडो मिठो
अब तूँ आज्या ए गुजरी आज्या,लाला न महिडो देज्या
गुज़री हरखी हरखी डोल, लाला न महिडो तोल
लालजी हंसी मसखरी छोड़ो,अंटी स्यूं रुपिया खोलो
अब थान जानी मथुरा वाली,तूं लियां फिर मतवाली
अब थान जाण्या कृष्ण कन्हैया,गोपयां संग रास रचैया
हरि को बाल कलेवो गावै, लख चौरासी टल ज्याव
कंवारी गावै घर बर पावे,जी परणी पुत्तर खिलावे
बूढ़ी गावै गंगा न्हावै, जी सुरग पालकी जावे


जागो नारायण,जागो हरि,जागो गोविंदा श्याम हरि
लाल लाल कर माता जगावे,तो लाला न आवे,नींद घणी
जागो नारायण...
थांरे तो सिर लाला, कंसा रो डर छ, दूर रमण मत ज्यावो हरि
जागो नारायण...
कंसा रो ये माता कांई डर छ, मार गिरांवा ला एक घड़ी
जागो नारायण...
बाबा नन्द घर नो लख गायां,बे ही चरायर ल्यावो हरि
जागो नारायण...
बाई मीरां केव प्रभू गिरिधर नागर, हरि क चरणां म चित लाग्यो हरि
जागो नारायण...

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