श्री
सांझ का भजन
सिंझ्या मन सन्ध्या सुमिरण कर रे
भूल्या मन सन्ध्या सुमिरण कर रे
1-काहे को दिवलो रामजी,काहे की बतियाँ
काहे रो घिरत पुरायो रे,मन रे तूं सन्ध्या.........
2-सोन को दिवलो,रामजी,रेशम की बतियाँ
माटी को दिवलो रामजी ,रुई केरी बतियाँ
गउ को घिरत पुरायो रे,मन रे तूं सन्ध्या.......
3-काहे की नाव,काहे को न्यावटीयो
कुण तो करलो बेड़ा पार रे,मन रे तूँ सन्ध्या.........
4-सत की नाव,धरम को न्यावटीयो
सांवरो करलो बेड़ा पार रे,मन रे तूं सन्ध्या.......
5-आठ पोर की चौसठ घड़ियां
,एक घड़ी तो राम भज रे,मन रे तू सन्ध्या.....
6-जांके घर म तुलछां रो बिड़लो,
बांरो पाड़ोस भल होइ रे,मन रे तूं सन्ध्या......
7-बाई मीरां केव प्रभू गिरधर नागर
हरि क चरणां म चित्त धर रे,मन रे तूं सन्ध्या.......
मन
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