Bhajan that connects with spirituality...

Gouripuja ।।शिव पार्वती स्तुती

भव रूपी शिव,मेरे जीवन में सद्गुणों का विकास करना
म्रड रूपी शिव ,मेरे जीवन के सद्गुणों की रक्षा करना
रुद्र रूपी शिव मेरे जीवन के दुर्गुणों का विनाश करना
शंकर रूपी शिव भक्ति देना और मोक्ष देना ।।

ऊँ.. महादेव शिव शंकर शम्भु उमाकांत हर त्रिपुरारी
मृत्युंजय व्रशभध्वज शूलिन् गंगाधर म्रड मदनारे
हर शिवशंकर गौरीसं वंदे गंगाधर मिशम्।
रुद्रं पशुपतिमिशानम् कलये काशीपुरीनाथम्
जय शम्भो जय शम्भो शिव गौरीशंकर जय शम्भो
जय शम्भो जय शम्भो शिव गौरीशंकर जय शम्भो

सौराष्ट्रे सोमनाथं श्री शैले मल्लीकार्जुनम्
उज्जयिन्यां महाकाल,मोंकारममलेश्वरम् ।।
परल्यां वेधनाथं डाकिनयां भीम शंकरम्
सेतु बन्धे तु रामेश नागेशं दारुका बने ।।
वाराणस्यामं तु विश्वेशं त्रयम्बकम् गौतमी तटे
हिमालये तु केदारं घुस्रणेशं शिवालये ।।

एतानि ज्योर्तिलिंगानि सायं प्रातः पढे नरः
सप्त जन्म कृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ।।
हरि ओम् तत् सत , हरि ओम् तत् सत , हरि ओम् तत् सत

चोपाई_   
जानि कठिन सिवचाप बिसुरति ,चली राखि उर स्यामल मूरति ।।
प्रभु जब जात जानकी जानी, सुख सनेह सोभा गुन खानी ।।
परम प्रेममय म्रदु मसि किन्ही ,चारु चित्त भीति लिख लीन्ही ।।
गई भवानी भवन बहोरी,बंदि चरन बोली कर जोरी ।।
जय जय गिरिबरराज किसोरी,जय महेश मुख चन्द चकोरी ।।
 
जय गजबदन षडानन माता,जगत जननि दामिनि दुति गाता ।।
नहीं त्व आदि मध्य अवसाना, अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना ।।
भव भव बिभव पराभव कारिनि,बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि ।।

दोहा_
पति देवता सुतिय महुँ मातु प्रथम तव रेख
महिमा अमित सकहिं कहि सहस सारदा सेष।।

चोपाई
सेवत तोहि सुलभ फल चारी,बरदायनि पुरारि पिआरी।
देबि पुजि पद कमल तुम्हारे ,सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ।।
मोर मनोरथु जानहु निकें,बसहु सदा उर पुर सबही कें ।।
किन्हेंउं प्रगट कारण तेहीं,अस कहि चरण गहे बैदेहि ।।
बिनय प्रेम बस भई भवानी,खसी माल मूरति मुसुकानी।।
सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ,बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ ।।
सुनु सिय सत्य असीस हमारी,पूजिहि मन कामना तुम्हारी।।
नारद बचन सदा सुचि साचा,सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।।

छं
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर साँवरो
करुणा निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो।।
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानी पुजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली।।
सोरठा_ जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु जाई कही।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

सियावर रामचन्द्र जी की जय, उमापति महादेव की जय पवनसुत हनुमान की जय


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