सांवरिया ले चल
परली पार, कन्हैया
ले चल परली पार
जहां विराजे
राधा राणी, अलबेली
सरकार, सांवरिया ले
चल...
गुण अवगुण
सब तेरे अर्पण,
पाप पुण्य सब
तेरे अर्पण,
बुद्धि
सहित मन तेरे अर्पण, ये
जीवन भी तेरे अर्पण
मैं तेरे
चरणोँ की दासी,
कर लो अब स्वीकार, सांवरिया ले चल...
तेरी
आस लगा बैठे
हैं, सब कुछ आज लुटा
बैठे हैं,
अपना
आप गंवा बैठे
हैं, सांवरिया मैं
तेरी रागिनी, तूँ
मेरा मल्हार,
सांवरिया ले चल...
तेरे सिवा कोई
चाह नहीं है,
किसी की कोई परवाह नहीं
है,
कोई सूझती
राह नहीं है, मेरे गिरिधर
मेरे मांझी, क्यों
छोड़ा मंझधार,
सांवरिया ले चल...
आनन्द यहां पर
बरस रहा है, पत्ता पत्ता
हरष रहा है,
पीहू पीहू
कर कोई तरस रहा है, कैसें माप
सकूं मैं भगवन,
प्रेम का पारावार,
सांवरिया ले चल...
जहां विराजे राधा राणी, अलबेली सरकार, सांवरिया ले चल...
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