तर्ज : मार दिया
जाय कि छोड़ दिया.....
शेष आ गया महेश आ गया
देख तेरी नगरी में ब्रम्ह आ गया...
शेष आ गया महेश आ गया
देख तेरी नगरी में ब्रम्ह आ गया...
ब्रम्ह
निर्गुण निराकार सांई
,बन आया जनक का जंवाई
तूं विदेही बना,ब्रम्ह देहि बना यश छा गया
इन्द्र आ गया गजेन्द्र आ गया,
देख तेरी नगरी......
तूं विदेही बना,ब्रम्ह देहि बना यश छा गया
इन्द्र आ गया गजेन्द्र आ गया,
देख तेरी नगरी......
आज प्रगटी जनक की कमाई ,शक्ति सीता सुता बन आई
आज घर घर सजे,शहनाई बजे मन भा गया
सूर्य आ गया चन्र्द आ गया,
देख तेरी नगरी....
आज पूछे प्रभु सें पहेलियाँ ,देखो मिथिला की सुंदर सहेलियाँ
तुम कारे कुमार,मईया गोरी तुम्हार कहो क्या भया
वरुण आ गया,कुबेर आ गया,
देख तेरी नगरी....
आज भुला जनक ज्ञान ज्ञाता,कभी रोता कभी मुस्काता
लीलाधारी कुंवर,तेरा दास भँवर जस गा गया
परसुराम आ गया, वशिष्ठ आ गया,
देख तेरी नगरी...
(visit my youtube channel to listen to the bhajan)
Thanks bhayisab
ReplyDeleteThanks bhayisab
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