ऐजी
मैं तो प्रेम
के मोल बिकाउ
और
माया के हाथ नां आउं
एसो
बांके बिहारी, ओडूं
काम्बर कारी
बंसी
वट पे मधुर बजांउ ,पर
माया के.....
(1) धर
माखन जब टेरे गूजरी हौले
हौले जाऊँ
छींके
ऊपर धरि मटुकियाँ
झट उतार ले आउं
फिर
मैं प्रेम सें
भोग लगाऊं पर
माया के हाथ.....
(2) ले
सांटी जब दोड़े मैया कबहुँ
हाथ ना आउं
प्रेम
विह्वल हो कनुवा
पुकारे तब मेँ खुद पकड़ाउं
फिर
तो ऊंखल सें
भी बन्ध जाऊँ,पर माया
के.....
(3) बिना प्रेम
के दुर्योधन के
मेवे भी तज आउं
भाव
के वश में विदुरानी के छिलके
भी खा जाऊं
छिलके
खाकर के हर्षाऊं
पर माया के हाथ ......
(4) विप्र सुदामा
के चावल मैं
कच्चे ही खा जाऊँ
करमा
बाई को खिचड़लो
मं लुखो ही गट काउं
सबरी
के जूठे बैर
भी खाऊं पर माया के
(5) कभी सारथी
बन करके अर्जुन
का रथ भी चलाऊँ
कभी
भक्त के मान की खातिर
खुद का मान भुलाऊँ
पर
भक्तों का मान बढ़ाऊँ और
माया के......
(6) प्रेम सें
कोई इन्हें पुकारे
ये दौड़े दौड़े
आये
प्रेमी
भक्तों की नैया पल भर
मेँ पार लगाये
पुष्पा
भी तेरे गुण
गाये और चरणोँ
मेँ ध्यान लगाये
,एसो बांके बिहारी.....
(visit my youtube channel to listen to the bhajan)
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Mast
ReplyDeleteThankuuu
DeleteNice... Keep it up...
ReplyDeleteThank you bhayisab.
ReplyDeleteAakhir Kyon ऐजी मैं तो प्रेम के मोल बिकाउं
ReplyDeletePauranik Kathayenthanks for articals