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कैलाश पूरी सें चाल कर शिव...Kalash puri sen chal kr..(shiv ji ki lavani,bhajan)

माँ की सुनहरी यादों सें(ओल्ड इज गोल्ड)                                     श्री                 
                                   लावणी               
कैलास पुरी सें चाल कर,शिव नन्द महर घर आयो
शिव भक्ति में मगन, दरश की लगन,
ध्यान लाग्यो धरने,ध्यान लाग्यो धरने
एजी महाराज ध्यान......
विष्णु को कठे निवास देखणू  हर ने -2
देखी चारूं कुंट, और बैकुंठ,
देव ऒर नर में,देव ऒर नर में
नारायण लियो अवतार नन्द के घर में-2
प्रभु नन्द घरां अवतारी,लखी मगन भये त्रिपुरारी
आँखडल्या तरसे म्हारी,चलने की करी तैयारी
श्रंगी,शैली, कण्ठी माला ,गले माँहि डाली है
तन पे बाघम्बर सोहे,भस्मी रमा ली है
शिव पे गंगा जी सोहे,जग को तारण हारी है
कैलाश सें चाल्यो शंकर,बोले हर बम बम
हाथ में त्रिशूल ,डमरू,बाज रह्यो डम डम
भाल पे चंद्रमा सोहे,कर रह्यो चम चम
चाल्यो,सर्प गले में डाल के,दिन वृज में आय उगायो
कैलाश पुरी.......
गोकुल की देखी झलक,लगाई अलख, नन्द के द्वारे
नन्द के द्वारे, एजी महाराज नन्द.....
एक दरश भिखारी ,खड्यो बारने थारे
अलख अलख रह्यो टेर, होय रही देर,जाऊं घर म्हारे
जाऊं घर म्हारे,एजी महाराज जाऊं......
 माता माता शिवशंकर खड्यो पुकारे
जब मात जशोदा बोली,एक सन्त खड्यो है पोली
भिक्षा घालु अनमोली, भर दयूं जोगी ली झोली
भिक्षा लेय आयी माता,रतन अनमोला रे
पुत्र की बधाई देउँ,ले जा जोगी भोला रे
जाग ज्यावै कान्ह मेरो मत कर रौला रे
भिक्षा नहीं लूंगा ,तेरा पुत्र दिखादे माई
भोलेनाथ घर पर आयो,जाय कर बता दे माई
अलख पालणीय सुत्यो, जाय कर जगा दे माई
दरशण करवा दे तेरे लाल का,शिव चाल कैलाश सें आयो
कैलाश पुरी.......
सुन डमरू की तान, सोएडो कान्ह,चमक कर जागे
चमक कर जागे,एजी महाराज चमक....
लाला के नज़र लग जाय,ल्याऊं ना तेरे आगे
तेरे गले में शेष,अजब तेरो भेष,मने डर लागे
मने डर लागे,एजी महाराज,मने डर.....
बालक देखे तेरो रूप रोय कर भागे
कह रहे वचन अविनाशी,माई कर दे महर जरा सी
तेरे घर प्रगट्यो अविनाशी,अँखियाँ दरशन की प्यासी
मेरे इष्टदेव मैया, झूले तेरे पालने,सृष्टि के पालनकर्त्ता खेले तेरे आंगने
आया हूँ मैं दरशन करबा, नहीं भीख मांगने
तातो पाणी कर दयूं जोगी,बैठकर नहाय ले
भूख लगी तो बाबा,दही रोटी खाय ले
पुत्र को दिखाऊँ नांहि,चाहे भिक्षा नांहि ले
तूँ बात करे है जाल की,चल्यो जाय जठे सें आयो
कैलाशपुरी से.....
शंकर होय निराश,फेरूं कैलाश,जावण न लाग्यो
जावण न लाग्यो,एजी महाराज जावण .....
पालण म सुत्यो कुँवर कन्हयो जाग्यो
जोर मारी किलकार,पैर फटकार,रोवण न लाग्यो
रोवण न लाग्यो,एजी महाराज रोवण न.....
माता बोली बो जोगीडो नजऱ लगाग्यो
जब गोद लियो महतारी,हुलराय हुलराय कर हारी
 दस पांच आई व्रज नारी,तेरो क्यूँ रोवे गिरधारी
कोई बोले पेट दुःखे, कान में है चटको
कोई बोले कीड़ो कांटो भर लियो बटको
माता बोली बहनों मेरे मन में है खटको
एक तो जोगीडो आयो ,कर ग्यो जादू टूणों रे
जोगीड़ा के जायां पाछे,रोवे दूनो दूनो रे
पकड़ कर जोगी न ल्यावो,ढूँढो कूनो कूनो रे
कम्बल है नाहर के खाल की,शिवशंकर नाम बतायो
कैलाशपुरी सें......
जसुमति दौड़ी लेर,जोगीड़ा ठहर,जाण देउँ नांहि
जाण देउँ नांहि,लाला को दुख पेट तूं नज़र लगाई
के कर आयो जादू,लागे पाखण्डी साधु बोल रही माई
बोल रही माई, एजी महाराज बोल रही...
शिवशंकर बोल्यो चाल घरां दयूं दवाई
शंकर मन मे  मुस्कायो,संग जसुमति के घर आयो
पोळी में कृष्ण बुलायो,हंस हंस कर कण्ठ लगायो
नजऱ लगी तो तने,विभूति की चूंटी देउँ,सर्दी जुखाम है तो और जड़ी बूंटी देउँ,
गदगद कण्ठ होय मन में मुस्काय रह्यो
शीश ऊपर हाथ फेर ,आशीष सुनाय रह्यो
शिव श्याम मिले तब,मोहन गुण गाय रहयो
ल्यायो उमर हजारों साल की,ओ जसुमति तेरो जायो
कैलास पुरी सें.....

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